जब वो पहनती थी साड़ी सरक जाती थी-SHAYARI

1. जब वो पहनती थी साड़ी सरक जाती थी कभी इधर कभी उधर लटक जाती थी मै आँखो से कहता ख़ताए न कर दिल के कहने पर निगाहें भटक जाती थी
2. उनकी अदाए उनकी बातें बहुत अच्छी लगती है सुबह उठते ही मेरी तारीफ जरूर करते है इसलिए हम अपनी खूबसूरती पर गुरुर करते है
3. चाहत की गलियों से गुजर जाने दो बागों में कलियों को खिल जाने दो ख्वाहिश तमन्ना साथ रहती मेरे सपनों को थोड़ा सजधज जाने दो
4. न जाने कितनी ठोकर और लिखी है ज़िन्दगी कि पनाहो में वो पहले छुपकर करती थी मोहब्बत मुझे घर के बाहर जगह नहीं मिलती वो रहने लगे है बाहों में

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