2 line shayari 2024

दो लाइन शायरी 2024 ! हिंदी शायरी
तिरछी निगाहों से कत्ल सरेआम करती हो मोहब्बत है फिर भी इंकार करती हो लिमिट में रहकर भाव खाना ठीक है मुझे ऐसा लगता है फालतू समय बर्बाद करती हो 

मैंने वफ़ा की उम्मीद करना छोड़ दिया है ऐसा लगने लगा है इश्क में बर्बादी अपना नसीब है 

उदास जिंदगी में मोहब्बत की छाप छोड़ दो तन्हा अकेले न जी पाऊंगा मेरे हिस्से का सारा हिसाब जोड़ दो

मतलबी होने का आरोप लगाना छोड़ दो जरूरत तुम्हारी भी है जरूर हमारी भी है

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