दर्द शायरी | Dard shayari
ए बेवफा अपनी मोहब्बत की फरियाद करने आया हूं शायद आखरी बार तुम्हें याद करने आया हूं बस इतना जानने की ख्वाहिश है क्या कमी रह गई मेरे मोहब्बत में जो जख्म इतना पाया हूं
बहुत दर्द दिया है तेरी बेवफाई ने घुट घुट के जिंदा हूं जुदाई में पहले हर मंजर में रहती थी खुशियां अब हर पल रहता हूं तनहाई में
दर्दे दिल की दवा चाहता हूं ए बेवफा तेरी नजर में अभी भी वफा चाहता हूं हो सके तो बदल दे तू इरादा अपना मोहब्बत में नहीं कोई खता चाहता हूं
![]() |
Dard shayari |
एक टिप्पणी भेजें