ख़्वाब सजने लगे सपनो की तरह-SHAYARI

1. ख़्वाब सजने लगे सपनो की तरह वे नफ़रत करते है अपनों की तरह ज़माना बदल गया कैसे किस तरह हम भी बदल गये जमाने की तरह
2.हम लुट गये उनकी मोहब्बत में नदी में चलती हुई नाव को किनारा न मिला हम वैसे भी बेसहारा थे ज़िंदगी में उस बेवफ़ा का सहारा न मिला
3. हम दोनों के झगड़े क्या कब रूठे कब मान गये आपके प्यार का रस कितना मीठा बिन पिये इसे हम जान गये
4. सातो रंगो से प्यारा आपके प्यार का रंग निकला है आपके प्यार की खुशबू मेरे दिल के कड़ कड़ में बिखरा है जिस होठों से देती हो गाली ये ओठ भी कितने प्यारे है इन ओठों से निकली हुई गाली लगते अमृत के प्याले है
5.तेरे मेरे प्यार का रंग है पक्का रंग कभी न छुटेगा तेरा मेरा प्यार है पक्का ये प्यार कभी न छुटेगा
6.अपनाने में देर न कर ,ये समय निकलता जाता है मै जीवन भर साथ रहूगा ये तुमसे मेरा वादा है
7.मेरी तो चाहत है तेरी बाहो में लिपट के मर जाऊं जहां सिर्फ खुशी का संगम है इतना दूर निकल जाऊं

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