Chatukarita shayari - चाटुकारिता शायरी

चाटुकारिता की आदत नहीं है हर बात साफ कहता हूं जो रहे सदा हकीकत पर कायम उसी से प्यार करता हूं 

चाटुकार नहीं हूं जो वक्त के बदलाव में बदल जाऊंगा जो सच्चाई का रास्ता मेरे मंजिल तक जाएगा मैं उसी रास्ते जाऊंगा 

हम सिर्फ वही झुकते हैं जहां झुकना जरूरी है किसी की चाटुकारिता में झुक जाए यह कैसी मजबूरी है 

चाटुकारिता करने की नहीं अपनी ऐसी फितरत है सत्य अहिंसा लक्ष्य हमारा चाहे कोई भी मुश्किल हो हर हाल में आगे बढ़ना है

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