अच्छी शायरी, Hindi shayari, शेरो शायरी मनोज कुमार
संभालना भी है कठिन है डगर, चलना भी है अभी बिगड़ी है मुकद्दर, इसे बदलना भी है रुक जाए कहीं थक हार कर, ऐसी अपनी फितरत नहीं है
हालात चाहे जैसे भी हो अपनी इंसानियत से रुख मोड़ना नहीं है कहीं कोई बेबस लाचार मिले जो अगर मुश्किल में उसे छोड़ना नहीं है
धीरे-धीरे ख्वाहिशें पूरी हो जाएंगी अपने हुनर का उपयोग करके देखो हर तरफ खुशियां ही खुशियां होगी हर मंजर की तस्वीर बदल जाएगी
हार कर भी नई नीतियों के साथ प्रयत्नशील रहने से मंजिल मिल जाएगी दृढ़ संकल्प करके देखो किस्मत बदल जाएगी
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