हर लम्हा तेरी वफा के गुफ्तगू में जी रहे हैं जाम इन नशीली आंखों से पी रहे हैं हर कमी दूर होने लगी है अब सभी शिकवे गिले जख्मों को सी रहे हैं
मीठी मीठी बातों में फुसलाने लगी हो किसी न किसी बहाने से करीब आने लगी हो आजकल मेरी खुशियां आसमान छू रही है जन्नत क्या चीज होती है मुझे दिखाने लगी हो
कुछ राज छुपा कर रखी हो कुछ बात छुपा कर रखी हो मंद मंद मुस्कान बता रही है कुछ एहसास छुपा कर रखी हो
जमाने से अपने दर्द को छुपा कर रखते हैं उस बेवफा को आज भी दिल से लगा कर रखते हैं खो गई सारी खुशियां तो क्या तन्हाई में अपने दिल को समझ कर रखते हैं
मेरी खामोशी तुमसे सवाल करेगी और तुम बिना जवाब दिए बरी हो नहीं सकते
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